भारत की मिट्टी अनेको बार खून से लाल हुई है रक्त-रंजित दीवारों को रंग रोगन जरूर कर दिया गया है पर आज भी ये इमारतें किले उस मंजर को बया करते है जो उस दौर मे हुआ था जबरन धर्म परिवर्तन करना, महिलाओ का शोषण, लूटपाट, घोर अत्याचार, परन्तु हमारे सामने चाटूकार इतिहासविदों ने इन भक्षकों को रक्षक प्रस्तुत किया है, उनका ही महिमा मंडन किया है जिन्होंने हम पर अत्याचार किये।

मुस्लिम शासकों ने जिस प्रकार की क्रूरता यहां पर दिखाई थी उसको बहुत ही छोटा करके दर्शाया गया है और हिंदुओं के ऊपर जो अत्याचार हुए थे उसको छिपाने का प्रयास किया गया है। दिल्ली सल्तनत मुगल वंश इन्होंने जिस प्रकार से क्रूरता से हिंदुओं का नरसंहार किया शायद ही ऐसा पूरी दुनिया में कहीं भी नहीं हुआ था। किंतु इतिहास में इसका वर्णन करने की बजाय इतिहासकारों ने चटुकारिता के चलते ज्यादा ध्यान दिया की अकबर कितना महान था; अलाउद्दीन खिलजी कितना दिलदार था और औरंगजेब कितना बढ़िया शासक था।

उस समय के महान हिन्दू राजाओ की कृति को छुपा कर रखा गया और उन सभी लोगों की पहचान को दबाने का प्रयास किया गया जिन्होंने भारत की संस्कृति के उत्थान के लिए कार्य किया था जिनमें से कुछ नाम है महाराणा प्रताप, शिवाजी, दारा शिकोह, बाजीराव पेशवा, बप्पा रावल, अनंगपाल तोमर, पृथ्वीराज चौहान, हम्मीरदेव,भीम देव सोलंकी आदि।
आधुनिक भारत कर इतिहास में छेड़छाड़ नहीं बल्कि पूरा का पूरा इतिहास ही गलत लिखा गया है। इस समय की एनसीआरटी की पुस्तकों को यदि आप पढ़ेंगे तो आपको सिर्फ और सिर्फ एक विचारधारा ही दिखाई देगी जिसको इतना अधिक बढ़ा चढ़ाकर लिखा गया है कि मानो ये विदेशी आक्रान्ता नही बल्कि इनकी महानता के चलते देश मे चारो ओर खुशहाली आई है. झूठ को पढ़ते पढ़ते हम उससे सच समझने लगे और हमारे सामने ऐसा वातावरण बनाया गया की हमें लगने लगे जो हम पढ़ रहे है वो एक एक शब्द सही और सच है परन्तु विस्तृत अध्यन के पूर्णतः ज्ञात हुआ जिनको महान बताया जा रहा है वो हिन्दूओं का नरसंहार करने वाले क्रूर शासक थे हमारे लिए इतने दुर्भाग्य की बात है आज दिल्ली मे उन विदेशी आक्रांताओं को सम्मान दिया जा रहा है जिन लुटेरो ने देश को लूटा और भारत की सबसे प्रचीन सभ्यता को नष्ट करने का कार्य किया आज उन ही आक्रांताओं के नाम से रोड, इमारत, किले, व क्षेत्रों के नाम है क्या ये नाम गुलामी के प्रतीक नही है. इन लुटेरो के नाम को मिटा हमें अपने महापुरुषों के नाम से रखना चाहिए जिनसे हमारा अस्तित्व है जो इस मातृभूमि की रक्षा व हिंद के स्वाभिमान के लिए अग्रीन भूमिका मे रहे.

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